निरंकारी शादी के उपलक्ष में विशाल निरंकारी सत्संग का आयोजन -ईश्वर की प्राप्ति ही मानव जीवन का परम लक्ष्य हैं- संत हरिमोहन
निरंकारी शादी के उपलक्ष में विशाल निरंकारी सत्संग का आयोजन ईश्वर की प्राप्ति ही मानव जीवन का परम लक्ष्य हैं- संत हरिमोहन
बाड़मेर। शहर के जैसलमेर रोड़ स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में शनिवार सांय 6 बजे विशाल निरंकारी सत्संग का आयोजन हुआ। भवन के मीडिया सहायक हितेश तंवर ने बताया कि यह सत्संग संत निरंकारी मण्डल बाड़मेर के संयोजक शांतिलाल की पुत्री व पुत्र के शादी के उपलक्ष में आयोजित हुई तथा सत्संग का आयोजन जोधपुर जोनल इंचार्ज हरिमोहन गहलोत की अध्यक्षता में हुआ। वही दूसरी ओर रविवार प्रातः10 बजे विशाल निरंकारी साप्ताहिक सत्संग का आयोजन हुआ। शादी की इस सत्संग में सभी श्रद्धालुओं द्वारा सतगुरु के सामने खुशियों भरी रचनाए रखी। श्रद्धालुओं द्वारा गाए निरंकारी भजनों पर पंडाल में बैठे सभी निरंकारी श्रदालु झूम उठे।सत्संग के इस मौके पर जोधपुर की महात्मा अनुसुया ने भी भजन द्वारा आशीर्वाद प्राप्त किया। सत्संग में कवास, बायतु, उत्तरलाई, भीलों का पार, शिव, रामसर, धोरीमन्ना सहित कई गांवों के श्रद्धालु व निरंकारी सेवादल भी उपस्थित रहे।
सत्संग के अंतिम समय में महात्मा हरिमोहन गहलोत ने फ़रमाया कि, दुल्हन बहु के रूप में नहीं बेटी के रूप में ससुराल जाए। सास-ससुर की माता-पिता, ननद-देवर को भाई के रूप में सम्मान दे। सास-ससुर को नित्य प्रणाम करें और आशीर्वाद ले। दामाद भी ससुराल में बेटा बनकर जाए। दोनों समधी परिवार एक-दूसरे का आदर करें। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिथ्या नहीं जाता। संसार में अपना पालन पोषण मनुष्य और पशु-पक्षी भी करते हैं और संतान भी पैदा करते हैं। ईश्वर की प्राप्ति पशु-पक्षी नहीं कर सकते हैं, साधना-सिमरन नही कर सकते, ईश्वर की प्राप्ति सिर्फ मनुष्य ही कर सकता हैं। मानव जीवन का परम लक्ष्य सिर्फ ईश्वर प्राप्ति हैं। उन्होंने कहा कि, संसार में सभी दृश्यमान जीव-जंतु, मानव, वस्तुएँ, आकाशीय पिण्ड, ग्रह, उपग्रह गतिशील हैं तथा परिवर्तनीय हैं। यही संसार का नियम हैं। ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने से ही मनुष्य का कल्याण होता हैं। आनंद प्राप्ति हेतु ईश्वर से जुड़ना आवश्यक हैं। सेवा, सत्संग, सुमिरन करने वाले को ही भक्ति का सुख प्राप्त होता हैं। ईश्वरीय ज्ञान सतगुरु माता सविंदर हरदेवसिंह महाराज की कृपा से प्राप्त होता हैं।
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