धोरीमन्ना ज़िम्मेदारो की उदासीनता माने या आपसी साठगाँठ पहाड़ियों का ऐतिहासिक अस्तित्व ख़तरे में जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान विभागीय उदासीनता से राजस्व विभाग को हो रहा है जमकर नुकसान
धोरीमन्ना ज़िम्मेदारो की उदासीनता माने या आपसी साठगाँठ
पहाड़ियों का ऐतिहासिक अस्तित्व ख़तरे में जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
धोरीमन्ना उपखंड की गोद में अधिकांश जगह में अवैध खनन का कार्य चरम पर है माने ज़िम्मेदारो ने उनको खनन की खुली छूट ही दे दी हो।ना कोई ख़ौफ़ ना किसी कानून का डर और नाही विभागीय अधिकारियों का डर।धोरीमन्ना में अवैध पत्थर व बजरी भरे ट्रकों का कारोबार जमकर चल रहा है।ऐतिहासिक आलम नगरी धोरीमन्ना की पहाड़ियां अपना ऐतिहासिक स्वरूप खो चुकी है तो कुछ पहाड़ियां अपना ऐतिहासिक स्वरूप खोने की कगार पर है।लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ध्यान न देने से कई सवाल खड़े हो रहे है जिस जिम्मेदारी के लिए सरकार ने उनकी नियुक्ति प्रदान की है उसके प्रति ही गम्भीर नही होंगे तो सवाल उठना भी लाजमी है।साता सड़क मार्ग के किनारे पचास फिट गहरे खड्डे में खनन हो रहा है सड़क मार्ग से महज दस फीट की दूरी पर पूरी तरह छलनी किया जा रहा है इसके आसपास के क्षेत्र में खनन माफियाओं ने खनन के चक्कर में पहाड़ियां ही काट डाली है।विभागीय उदासीनता के चलते राजस्व विभाग को भारी नुकसान हो रहा है।
पहाड़ियों कितनी खान आवंटित है इसकी जानकारी किसी के पास नही है स्थानीय प्रशासन को भी कोई अता-पता नही है जिससे हरि भरी पहाड़ियों का स्वरूप बिगड़ रहा है।खनन विभाग व पुलिस विभाग द्वारा उन खनन माफियाओं पर कार्यवाही न होने से उनके हौसले सातवें आसमान पर है।पत्थर माफियाओं द्वारा एक ट्रॉली करीबन 1500 से 2000 रुपये के आसपास बेची जा रही है।वही अवैध रूप से हो रहे खनन कार्य मे लिप्त माफियाओं द्वारा सड़क मार्ग पर ओर अन्य जगह हमेशा सुबह में ब्लास्टिंग कर तेज धमाको की गूंज पुलिस थाना,उपखंड कार्यालय तक सुनाई देती है लेकिन ज़िम्मेदारो की उदासीनता समझे या आपसी साठगाँठ फ़िलाल पहाड़ियों का अस्तित्व खतरे में है जो कि भविष्य के लिए खतरे की घंण्टी का भी संकेत है।
वही कार्यवाही की बात करे तो यह सूचना उनको पहले ही मिल जाती है कि इस क्षेत्र में आज यह अधिकारी आएंगे बगैरा बगैरा जिससे वो सचेत रहकर मौके से भाग जाते है।
बजरी खनन पर भी फ़िलाल सर्वोच्य न्यायालय की रोक होने के बावजूद भी उपखंड मे बजरी से लदे ट्रक में दिन रात खुलेआम निकल रहे है।
वही इन माफियाओं को स्थानीय अधिकारियों का तो बिल्कुल ख़ौफ़ ही नही है।जिससे कई प्रश्न खड़े होना भी लाजमी है आखिर इतने बेख़ौफ़ क्यो..!
देखने वाली महत्वपूर्ण बात यह रहेगी कि जिम्मेदार इस विषय पर ध्यान देते है या नही। धोरीमन्ना पहाड़ीयों को टूरिज्म के रूप विकसित करने के लिए विधायक लादूराम विश्नोई ने कस्बे को गोद लिया।लेकिन आलम यह कि खनन माफियाओं के आगे विधायक से लेकर प्रशासन की बोलती बंद है।
पहाड़ियों का ऐतिहासिक अस्तित्व ख़तरे में जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
विभागीय उदासीनता से राजस्व विभाग को हो रहा है जमकर नुकसान
धोरीमन्ना उपखंड की गोद में अधिकांश जगह में अवैध खनन का कार्य चरम पर है माने ज़िम्मेदारो ने उनको खनन की खुली छूट ही दे दी हो।ना कोई ख़ौफ़ ना किसी कानून का डर और नाही विभागीय अधिकारियों का डर।धोरीमन्ना में अवैध पत्थर व बजरी भरे ट्रकों का कारोबार जमकर चल रहा है।ऐतिहासिक आलम नगरी धोरीमन्ना की पहाड़ियां अपना ऐतिहासिक स्वरूप खो चुकी है तो कुछ पहाड़ियां अपना ऐतिहासिक स्वरूप खोने की कगार पर है।लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ध्यान न देने से कई सवाल खड़े हो रहे है जिस जिम्मेदारी के लिए सरकार ने उनकी नियुक्ति प्रदान की है उसके प्रति ही गम्भीर नही होंगे तो सवाल उठना भी लाजमी है।साता सड़क मार्ग के किनारे पचास फिट गहरे खड्डे में खनन हो रहा है सड़क मार्ग से महज दस फीट की दूरी पर पूरी तरह छलनी किया जा रहा है इसके आसपास के क्षेत्र में खनन माफियाओं ने खनन के चक्कर में पहाड़ियां ही काट डाली है।विभागीय उदासीनता के चलते राजस्व विभाग को भारी नुकसान हो रहा है।
पहाड़ियों कितनी खान आवंटित है इसकी जानकारी किसी के पास नही है स्थानीय प्रशासन को भी कोई अता-पता नही है जिससे हरि भरी पहाड़ियों का स्वरूप बिगड़ रहा है।खनन विभाग व पुलिस विभाग द्वारा उन खनन माफियाओं पर कार्यवाही न होने से उनके हौसले सातवें आसमान पर है।पत्थर माफियाओं द्वारा एक ट्रॉली करीबन 1500 से 2000 रुपये के आसपास बेची जा रही है।वही अवैध रूप से हो रहे खनन कार्य मे लिप्त माफियाओं द्वारा सड़क मार्ग पर ओर अन्य जगह हमेशा सुबह में ब्लास्टिंग कर तेज धमाको की गूंज पुलिस थाना,उपखंड कार्यालय तक सुनाई देती है लेकिन ज़िम्मेदारो की उदासीनता समझे या आपसी साठगाँठ फ़िलाल पहाड़ियों का अस्तित्व खतरे में है जो कि भविष्य के लिए खतरे की घंण्टी का भी संकेत है।
वही कार्यवाही की बात करे तो यह सूचना उनको पहले ही मिल जाती है कि इस क्षेत्र में आज यह अधिकारी आएंगे बगैरा बगैरा जिससे वो सचेत रहकर मौके से भाग जाते है।
बजरी खनन पर भी फ़िलाल सर्वोच्य न्यायालय की रोक होने के बावजूद भी उपखंड मे बजरी से लदे ट्रक में दिन रात खुलेआम निकल रहे है।
वही इन माफियाओं को स्थानीय अधिकारियों का तो बिल्कुल ख़ौफ़ ही नही है।जिससे कई प्रश्न खड़े होना भी लाजमी है आखिर इतने बेख़ौफ़ क्यो..!
देखने वाली महत्वपूर्ण बात यह रहेगी कि जिम्मेदार इस विषय पर ध्यान देते है या नही। धोरीमन्ना पहाड़ीयों को टूरिज्म के रूप विकसित करने के लिए विधायक लादूराम विश्नोई ने कस्बे को गोद लिया।लेकिन आलम यह कि खनन माफियाओं के आगे विधायक से लेकर प्रशासन की बोलती बंद है।
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